Beautiful thought

in #beautifullast month

व्याकुल भटकती इच्छाओं का दास कभी अपने आप को गंभीरता से नहीं लेता आखिर में एक बिखरे जीवन का मालिक स्वयं और समाज के लिए हंसी का पात्र बनकर रह जाता है घोर आज हम कलयुग में जी रहे हैं जिसमें कोई किसी का नहीं है सिर्फ अपनी आत्मा अपनी है काया तो माया के संग संग भटकती मिलेगी बस आत्मा को मलीन न होने दें लेकर तो इसे ही जाना है बाकी सब छूट जाना है।
शशि प्रभा--
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