
जिन्हें यह एहसास हो चुका है जिंदगी एकल नहीं गुजर सकती उसकी सहनशीलता प्रबल सर्वोत्तम कोटि की होगी
शब्द और व्यवहार ही इंसान की असली पहचान हैं..चेहरा और हैसियत का क्या..आज हैं कल नहीं हैं..अपने किरदार से महकता है इंसान..चरित्र पवित्र करने का इत्र नहीं आता...*
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