"Pick a Word, Paint a Story #24"
नमस्ते दोस्तों ,
ये मेरी प्रविष्टि हिंदवहले समुदाय में आयोजित प्रतियोगिता एक शब्द चुनो और कहानी सुनाओ के #२४ अंक के लिए हे इसे आदरणीय @senehasa जी ने आयोजित किया हे.
मैंने "सीक्रेट " शब्द का चयन किया हे.
लगभग १५ साल की आयु में मै अपने पिता की सरकारी तैनाती के स्थान पर इंटरमीडिएट में पढ़ रहा था , हम जहाँ रहते थे वो स्थान एक फार्म था , और मेरे पिता वहां के कृषि अधिकारी और फार्म के प्रभारी थे. उस स्थान पर खेत, खलिहान, वर्कशॉप, मुर्गीफार्म, टूबवेल , और मेरे पिता का ऑफिस और हमारा एक विशालकाय मकान था.
इस स्थान पर हमारा सारा दिन खेतों में दौड़ते हुए , गन्ने चूसते हुए, पतंग बाजी करते हुए, टूबवेल में नहाते हुए, खेतों में से सब्जियां तोड़कर कच्ची खाते हुए बीत जाता था , और इसके अलावा हम लोग वहां कच्ची मिटटी में अखाडा बनाकर कुश्तियां लड़ते थे। जिंदगी बहुत मस्ती से बीत रही थी , वहां सभी चीजें बिलकुल प्राकर्तिक रूप में मिलती थी।
कोई दोस्त आदि न होने के कारण मुझे अपना मन लगाने के लिए पिता के अधीनस्थ सहयोगियों से दोस्ती करनी पड़ी थी , कोई मुर्गी फार्म का प्रभारी था, कोई ट्रेक्टर्स का कोई गन्नो की खेती का कोई गेहू की खेती का , कोई वर्कशॉप का प्रभारी था. सभी मेरे दोस्त बन गए थे लेकिन ये दोस्ती मेरे पिता के पीठ के पीछे ही चलती थी।
सारा अनाज, सब्जियां, आदि हमारे फार्म में ही मिल जाता था. उन दिनों वहां गैस आदि भी नहीं थी इसीलिए कच्चे मिटटी के चूल्हों पर या मिटटी के तेल के स्टोव पर खाने बनते थे। ग्रामीण इलाका होने के कारण वहां बिजली का भी कुछ पता नहीं था कब ऑन हो जाये कब ऑफ.
यहाँ पढ़ने और खेलने के अलावा और कुछ नहीं था. मेरे पिता का एक अधीनस्थ मुर्गी फार्म का प्रभारी था। वो मुझे कभी कभी कुछ मुर्गी के ताजे अंडे खाने के लिए दे जाता था।
मेरे पिता शुद्ध शाकाहारी थे और मेरे अंडे खाने के बारे में उनको बिलकुल भी पता नहीं था , उनके डर से मै मुर्गी के अंडे अपने बक्से के कपड़ों के निचे छुपा कर रखता था , और जब वो नहीं होते थे तो उबाल कर खाता था .
लेकिन एक दिन मेरा ये सीक्रेट दुर्भाग्य से उनको पता चल गया , हुआ ये की उनकी कोई जरूरी चीज नहीं मिल रही थी , वो सभी जगह उसे तलाश रहे थे, फिर उनकी तलाश मेरे बक्से तक पहुंच गयी , और उनके बक्सा खोलते ही मेरी साँस अटक गयी , फिर वही हुआ उनको कपड़ों के निचे से मुर्गी के ४ अंडे मिले।
वो अपनी चीज ढूंढना भूल गए और गुस्से से चिल्लाये ये अंडे कौन खाता हे यहाँ ?
मै वहां से भाग गया , मेरी माँ ने उनको बताया की ये अंडे सुररीति खता हे उसको डॉक्टर ने खाने की सलाह दी थी। मेरे पिता बहुत भड़के और मेरे अंडे फोड़ कर फेंक दिए , बाद में मुझे भी डांट पड़ी. और मुझे दोबारा अंडे न खाने की चेतावनी भी मिली.
इस तरह मेरे गुप्त राज का पर्दाफाश हुआ था
मैं भी यहाँ आमंत्रित करना चाहता हूँ @deepak94 @riya01 @aviral123
मेरी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद, मैं ईश्वर से सभी स्टीमियन्स की प्रगति और सुखद भविष्य की प्रार्थना करता हूँ।
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