नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की 🙏 बाज़ारों में छाई जन्माष्टमी की धूम

सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार मेरा नाम सुधा सिंह है आशा करती हूं आप स्वस्थ होंगे और घर पर सभी कुशल मंगल होंगे। मैं ईश्वर से आपकी कुशलता के लिए प्रार्थना करूंगी। सभी भाइयों और बहनों को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

IMG20250815202816.jpgपूजन और सजावट के लिए सामग्री

हर साल की तरह इस साल भी ये त्यौहार भादो के महीने यानी इसी महीने की 16 तारीख को मनाई जा रही है। आज हम कृष्ण जन्माष्टमी की कहानी के बारे में जानेंगे।

तो कहानी कुछ इस प्रकार से है की माता देवकी और पिता वासुदेव डोनो ही मथुरा की जेल में कृष्ण जी की अपनी माँ कंस द्वारा डाल दिए गए थे। कंस नहीं चाहता था कि देवकी को कोई भी पुत्र या पुत्री हो। एक रात भादो में देवकी जी को पुत्र हुआ और उस दिन तेज बारिश हो रही थी लेकिन कंस के मार देने के डर से उनको रातो रात नदी पार कर के कृष्णा जी को नंद गाँव पहुचा दिया।

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नन्द गाओ में यशोदा मैया को भी बालिका हुई थी तो पालने से उस बालिका को निकाल के उसमें कान्हा जी को डाला गया और कान्हा जी का पालन पोषण माता यशोदा और नन्द जी ने किया। उन्हीं की जन्मतिथि को जन्माष्टमी का रूप मनाया जाता है।

आइए जानते हैं जन्माष्टमी का यह व्रत कैसे मनाया जाता है।

इस दिन हम लोग आमतौर पर अपने पूजा मंदिर को दीपों से सजाते हैं। कुछ लोग गाय, गोपियों और माखन की झाँकियाँ भी बनाते हैं और व्रत रखते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं जिसमें पानी भी नहीं पिया जाता और कुछ लोग फलहार व्रत रखते हैं जिसमें दूध पिया जा सकता है।

Picsart_25-08-16_09-13-37-976.jpgबछड़े सहित गाय की मूर्ति

ऐसा माना जाता है कि रात के 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए हम भगवान के विग्रह का स्नान कराते हैं, उन्हें नए वस्त्र और आभूषण पहनाते हैं और अपने लड्डू गोपाल को प्रसाद चढ़ाते हैं, जिसमें सिंघाड़े के आटे का हलवा और पंजीरी के साथ माखन मिश्री इस त्यौहार का एक ज़रूरी प्रसाद है और बचपन से ही माँ यह प्रसाद बनाती आ रही हैं।

पूजा के बाद हम वही प्रसाद खाते हैं और कान्हा जी को झूले और बसुरी पर बिठाया जाता है और उन्हें मोर पंख का भोग लगाया जाता है।

तो जब हम बाजार गए तो हमने प्रसाद और पूजा सामग्री के साथ कान्हा जी के लिए कई खूबसूरत पोशाकें और खिलौने खरीदे। छोटे बच्चों को भी राधा रानी और कान्हा जी जैसे कपड़े पहनाए गए थे, इसलिए दुकान में बच्चों के कपड़े भी उपलब्ध थे।

IMG20250815202829.jpgमाखन की मटकी

पूजा मार्ट सभी पूजा सामग्री के लिए एक बेहतरीन जगह है और हमें यहाँ विभिन्न प्रकार की सजावट की वस्तुएँ, धूपबत्ती, आध्यात्मिक पुस्तकें, भगवान की मूर्तियाँ और पोशाकें भी मिलती हैं। भगवान कृष्ण के आभूषण और झूला, पगड़ी के साथ बहुत सुंदर लग रहे थे और दुकान में काफी भीड़ थी।

सभी को मेरा नमस्कार और धन्यवाद आशा करती हूं कि आपको मेरी डायरी पसंद आयी।

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