जलता जीवन दीप जहाँ पर?steemCreated with Sketch.

in #india7 years ago (edited)

जलता जीवन दीप जहाँ पर, पहुँच नहीं हैं अभी वहाँ पर,
कैसे पाऊ परमानन्द को ढूंढ रहा हूँ ऊपर-ऊपर।

कभी झलक जो पा लेता हूँ, गीत ख़ुशी के गा लेता हूँ,
और लिपट जाता हूँ उसी साख से उसको सत्य मूल समझ कर।
जलता जीवन दीप जहाँ पर, पहुँच नहीं हैं अभी वहाँ पर,

स्वरुप रूप बदलता लेकिन, समय चक्र है चलता निश-दिन,
जो कल तक सुख देती थी शाखा, वही ड़सती हैं अब सर्प बनकर।
जलता जीवन दीप जहाँ पर, पहुँच नहीं हैं अभी वहाँ पर,

करके निज का बोध किरण में, हाय बंधा किस ओछे बंधन में,
ढूंढ रहा हूँ जिसको बाहर, वो तो है मेरे ही भीतर।
जलता जीवन दीप जहाँ पर, पहुँच नहीं हैं अभी वहाँ पर